A2Z सभी खबर सभी जिले कीअन्य खबरेमहाराष्ट्र

“पर्यावरण बाधित कर,जी पायेगा ईंसान”

"पर्यावरण बाधित कर ,जी पायेगा ईंसान"

  1. “क्या कुदरती पर्यावरण बाधित कर,जी पायेगा ईसान”                                                              हमे पता है ईंसान खुशहाल,!सुविधा के साथ जीना है तो हमे विकास करना होगा!,क्या ‘विकास’ के लिये ‘भकास’ होना जरुरी है.? बिलकुल नही ,हमे माणव जाती को विकास के साथ ईस विश्व मे जीना है,!तो पर्यावरण संतुलन के साथ ही ,विना प्रकृती को बाधा पहुचाये बिना कार्य करना होगा,!ना की जो बन पडे वे करे,! आज हम देख रहे भारत मे राष्ट्रीय ,राज्य,विकास रोड प्राधिकरण द्वारा हर रोज 25की.मी.से35कीमी,सडके,टनल,पुलीया,और बहुत कुछ ,पर सबको पता है,!सडके बनाने के लीये सौ साल पुराने वृक्ष की अमानवीय तरीकेसे कत्तल की गई, आश्चर्य की बात है पर्यावरण समन्धित अलग,अलग विभाग ने एक साथ परमिशन दी गयी,सडके बनाने के लिये 2014 से 2025 से आज तक कितने वृक्ष की कत्तल हूयी हम समझते है,जैसा *एक किमी.रोड के रो मे एक बाजू 90+90=180वृक्ष,एक दीन 35किमी, सडक बन रही है,35×180=6,300वृक्ष ,बाकी हिसाब आप जोडकर देखेंगे कितने करोड वृक्ष परमिशन के साथ कत्तल की गयी, कितने प्राणयायु की कमी आई है, रोड निर्माण एव विकास के नाम पर सोच समझकर सबने “वसूंधरा”को नोचा है,क्या सरकार के पास ऐसा कोई रॉकेट सायंस है,जो महीनो मे वृक्ष पहले जैसे होगे,साथ पर्यावरण ऱ्हास,प्राणवायू की कमी भी कवर होगी, आजभी कही,कही जो सडक 2016 बनकर तयार हुई आज भी वृक्षारोपण नहीं हुवा है, क्या हम ” करना”काल मे सिख नही पायें,प्राणवायू की किमत क्या होती है.

 

Back to top button
error: Content is protected !!